
राज्य तो वही है, बस वोटिंग स्टाइल हो गया है डिजिटल! 28 जून 2025 को बिहार इतिहास रचने जा रहा है। भारत में पहली बार मोबाइल से वोटिंग होगी — और नहीं, ये कोई WhatsApp ग्रुप पोल नहीं है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मोबाइल ई-वोटिंग का ट्रायल नगरपालिका आम और उप-चुनावों में शुरू किया है। यानी अब वोट डालने के लिए बूथ की लाइन में खड़े रहने की ज़रूरत नहीं, बस मोबाइल उठाइए और टैप कीजिए।
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कौन-कौन कर सकता है ई-वोटिंग?
इस सुविधा का आनंद उठाएंगे:
वरिष्ठ नागरिक
दिव्यांगजन
गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग
गर्भवती महिलाएं
प्रवासी मज़दूर (दुबई वाले भी वोट डालेंगे!)
रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या: 51,155
पुरुष: 26,038 | महिलाएं: 25,117
सबसे ज़्यादा रजिस्ट्रेशन बक्सर से। लगता है वहां सब स्मार्टफोन यूज़र हैं!
कैसे डालें वोट? एक ऐप, थोड़ा धैर्य, और भरपूर 4G नेटवर्क
मतदाताओं को मोबाइल में डाउनलोड करना होगा:
SECBHR ऐप (सामान्य चुनाव के लिए)
SECBIHAR ऐप (उप-चुनाव के लिए)
शर्त एक ही:
रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ही वोट डाल सकते हैं।
एक मोबाइल से दो लोगों तक वोट कर सकते हैं (पति-पत्नी का डिजिटल लोकतंत्र!)
ई-वोटिंग का समय: सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक (यानि नाश्ता करके वोट डालिए, लंच से पहले सब सेट!)
ई-वोटिंग के संविधान – ये 5 नियम ना तोड़ना
केवल अपने मोबाइल का उपयोग करें।
एक ही नंबर और फोन से रजिस्ट्रेशन और वोटिंग करें।
OTP शेयर मत करना – वरना दादी को वोट मिल जाएगा!
नकली ऐप और लिंक से दूर रहें।
कोई भी गड़बड़ी हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें।
हमरे पास तो स्मार्ट क्या, साधारण भी फोन नहीं! – ई-वोटिंग की सीमाएं
बिहार की टेली-डेन्सिटी: 57.23% (भारत का औसत 85.04%)
इंटरनेट डेनसिटी: 42.1% (भारत में 68.19%)
यानि अभी सबका “डिजिटल इंडिया” बनने में थोड़ी दूरी है।
चुनाव आयोग की उम्मीद बनाम जमीनी हकीकत
निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने कहा, “दुबई, क़तर से भी वोटर रजिस्टर हुए हैं। हम इसको सफल बनाना चाहते हैं।”
बिहार की डिजिटल क्रांति या सिर्फ एक शहर-केंद्रित प्रयोग?
ये एक महत्वाकांक्षी और सराहनीय प्रयोग है, लेकिन बिना डिजिटल पहुंच के ‘सभी के लिए मतदान’ की बात अधूरी रह सकती है।
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